यूएन में सबकुछ ठीक नहीं, जयशंकर ने पाकिस्तान पर साधा जमकर निशाना
External Affairs Minister S Jaishankar: भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में सुधारों की तत्काल आवश्यकता पर जोर देते हुए शुक्रवार को कहा कि इनके अभाव में वैश्विक निकाय का कामकाज ‘अवरुद्ध’ हो गया है। भारत के विदेशमंत्री एस जयशंकर ने ...
External Affairs Minister S Jaishankar: भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में सुधारों की तत्काल आवश्यकता पर जोर देते हुए शुक्रवार को कहा कि इनके अभाव में वैश्विक निकाय का कामकाज ‘अवरुद्ध’ हो गया है। भारत के विदेशमंत्री एस जयशंकर ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है।
आतंकवादी संगठन को बचाने की कोशिश : विदेशमंत्री जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र की 80वीं वर्षगांठ के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में कहा कि वैश्विक रणनीति के नाम पर आतंकवाद के पीड़ितों और गुनाहगारों की तुलना करने वालों की भी आलोचना की। उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान को एक तराजू में नहीं रखा जा सकता। उन्होंने यह भी कहा कि पहलगाम हमले की जिम्मेदारी लेने वाले आतंकवादी संगठन को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पाकिस्तान द्वारा बचाने की कोशिशें की गईं।
यूएन में सब कुछ ठीक नहीं : उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र में सब कुछ ठीक नहीं है क्योंकि संयुक्त राष्ट्र में होने वाली बहसें अब बहुत ज्यादा बंटी हुई हैं और उसका कामकाज साफ तौर पर रुका हुआ दिखाई दे रहा है। जयशंकर ने कहा कि किसी भी सार्थक सुधार को उसकी अपनी प्रक्रिया के जरिए ही रोका जा रहा है। परोक्ष रूप से पाकिस्तान को निशाने पर लेते हुए भारत के विदेश मंत्री ने कहा कि जब सुरक्षा परिषद का एक वर्तमान सदस्य उसी संगठन का खुलेआम बचाव करता है, जिसने पहलगाम जैसे बर्बर आतंकवादी हमले की जिम्मेदारी ली है तो इससे बहुपक्षवाद की विश्वसनीयता पर क्या असर पड़ता है?
जयशंकर ने कहा कि आतंकवाद के पीड़ितों और अपराधियों को एक ही श्रेणी में रखना निंदनीय है। उन्होंने कहा कि जब खुद को आतंकवादी कहने वालों को प्रतिबंधों से बचाया जाता है, तो इसमें शामिल लोगों की ईमानदारी पर सवाल उठता है। पाकिस्तान जुलाई में वह इस शीर्ष वैश्विक संस्था का अध्यक्ष था। वर्तमान में वह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का सदस्य है। परिषद में अमेरिका, चीन, फ्रांस, रूस और ब्रिटेन स्थायी सदस्य हैं।
विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि हम फिर भी आशा नहीं छोड़ सकते और चाहे कितनी भी मुश्किल हो, बहुपक्षवाद के प्रति प्रतिबद्धता मजबूत बनी रहनी चाहिए। उन्होंने कहा कि चाहे इसमें खामियां हों, इस संकट के समय संयुक्त राष्ट्र का समर्थन किया जाना चाहिए।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala



