Bihar ने नवीकरणीय ऊर्जा नीति को दी मंजूरी, पांच साल में 24 गीगावाट क्षमता हासिल करने का लक्ष्य
बिहार सरकार ने शुक्रवार को ‘बिहार नवीकरणीय ऊर्जा नीति-2025’ को मंजूरी दे दी। इसमें 2029-30 तक 23.97 गीगावट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता और 6.1 गीगवाट घंटा (जीडब्ल्यूएच) भंडारण क्षमता हासिल करने का लक्ष्य रखा गया है। राज्य सरकार ने एक बयान में यह जानकारी देते हुए बताया कि यह नीति राज्य में स्वच्छ और पर्यावरण अनुकूल ऊर्जा को बढ़ावा देने की दिशा में एक व्यापक योजना है। नीति का मकसद स्वच्छ ऊर्जा के साथ ऊर्जा भंडारण क्षमता को भी बढ़ावा देना है। इसके तहत 2029-30 तक 23.97 गीगावट (एक गीगावाट बराबर 1,000 मेगावाट) नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता और 6.1 गीगवाट घंटा (जीडब्ल्यूएच) भंडारण क्षमता हासिल करने का लक्ष्य रखा गया है। इसका उद्देश्य नवीकरणीय ऊर्जा को तेजी से अपनाना, बड़े पैमाने पर निवेश लाना और 2070 तक भारत के कार्बन उत्सर्जन को शुद्ध रूप से शून्य स्तर पर लाने के लक्ष्य की ओर ठोस योगदान देना है। नीति में विविध नवीकरणीय ऊर्जा परियोजना को बढ़ावा देने, समावेशी विकास तथा रोजगार और नवोन्मेष में वृद्धि पर जोर दिया गया है। बिहार सरकार के ऊर्जा सचिव मनोज कुमार सिंह ने कहा, “यह देश की सबसे प्रगतिशील नीतियों में से एक है। इसके जरिए बिहार न केवल स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में अग्रणी बनेगा, बल्कि शुद्ध रूप से शून्यकार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य को हासिल करने में भी अहम भूमिका निभाएगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह नीति बिहार को देश के सबसे पसंदीदा निवेश स्थलों में शामिल करेगी और राज्य को नवीकरणीय ऊर्जा का बड़ा केंद्र बनाकर रोजगार के बड़े अवसर पैदा करेगी।’’ नीति के तहत देशभर के निवेशकों और कंपनियों को आकर्षित करने के लिए कई आकर्षक और प्रतिस्पर्धी प्रोत्साहनों का प्रावधान किया गया है। इसमें परियोजनाओं की मंजूरी प्रक्रिया को आसान और तेज बनाने के लिए एकल-खिड़की मंजूरी व्यवस्था शामिल है।राज्य माल एवं सेवा कर (एसजीएसटी), भूमि रूपांतरण शुल्क और भूमि के पट्टे या हस्तांतरण पर लगने वाले स्टांप शुल्क की 100 प्रतिशत वापसी जैसे व्यापक वित्तीय लाभ भी दिए गए हैं। इसके अलावा नीति के तहत 15 साल तक बिजली शुल्क से पूरी छूट और 25 साल के लिए ‘ओपन एक्सेस’ यानी खुली पहुंच की सुविधा दी जाएगी। प्रदेश सरकार ने बयान में कहा कि ये सभी प्रावधान बिहार को नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में निवेश के लिए एक आकर्षक गंतव्य बनाते हैं।

बिहार सरकार ने शुक्रवार को ‘बिहार नवीकरणीय ऊर्जा नीति-2025’ को मंजूरी दे दी। इसमें 2029-30 तक 23.97 गीगावट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता और 6.1 गीगवाट घंटा (जीडब्ल्यूएच) भंडारण क्षमता हासिल करने का लक्ष्य रखा गया है। राज्य सरकार ने एक बयान में यह जानकारी देते हुए बताया कि यह नीति राज्य में स्वच्छ और पर्यावरण अनुकूल ऊर्जा को बढ़ावा देने की दिशा में एक व्यापक योजना है।
नीति का मकसद स्वच्छ ऊर्जा के साथ ऊर्जा भंडारण क्षमता को भी बढ़ावा देना है। इसके तहत 2029-30 तक 23.97 गीगावट (एक गीगावाट बराबर 1,000 मेगावाट) नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता और 6.1 गीगवाट घंटा (जीडब्ल्यूएच) भंडारण क्षमता हासिल करने का लक्ष्य रखा गया है। इसका उद्देश्य नवीकरणीय ऊर्जा को तेजी से अपनाना, बड़े पैमाने पर निवेश लाना और 2070 तक भारत के कार्बन उत्सर्जन को शुद्ध रूप से शून्य स्तर पर लाने के लक्ष्य की ओर ठोस योगदान देना है। नीति में विविध नवीकरणीय ऊर्जा परियोजना को बढ़ावा देने, समावेशी विकास तथा रोजगार और नवोन्मेष में वृद्धि पर जोर दिया गया है।
बिहार सरकार के ऊर्जा सचिव मनोज कुमार सिंह ने कहा, “यह देश की सबसे प्रगतिशील नीतियों में से एक है। इसके जरिए बिहार न केवल स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में अग्रणी बनेगा, बल्कि शुद्ध रूप से शून्यकार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य को हासिल करने में भी अहम भूमिका निभाएगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह नीति बिहार को देश के सबसे पसंदीदा निवेश स्थलों में शामिल करेगी और राज्य को नवीकरणीय ऊर्जा का बड़ा केंद्र बनाकर रोजगार के बड़े अवसर पैदा करेगी।’’ नीति के तहत देशभर के निवेशकों और कंपनियों को आकर्षित करने के लिए कई आकर्षक और प्रतिस्पर्धी प्रोत्साहनों का प्रावधान किया गया है। इसमें परियोजनाओं की मंजूरी प्रक्रिया को आसान और तेज बनाने के लिए एकल-खिड़की मंजूरी व्यवस्था शामिल है।
राज्य माल एवं सेवा कर (एसजीएसटी), भूमि रूपांतरण शुल्क और भूमि के पट्टे या हस्तांतरण पर लगने वाले स्टांप शुल्क की 100 प्रतिशत वापसी जैसे व्यापक वित्तीय लाभ भी दिए गए हैं। इसके अलावा नीति के तहत 15 साल तक बिजली शुल्क से पूरी छूट और 25 साल के लिए ‘ओपन एक्सेस’ यानी खुली पहुंच की सुविधा दी जाएगी। प्रदेश सरकार ने बयान में कहा कि ये सभी प्रावधान बिहार को नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में निवेश के लिए एक आकर्षक गंतव्य बनाते हैं।