सहारनपुर में बैंड बाजों के साथ निकली शव यात्रा:सात पीढ़ियां देखने वाली महिला को मिली ‘उत्सव विदाई’

सहारनपुर के नागल थाना क्षेत्र के भलस्वा ईसापुर गांव में शुक्रवार को 102 वर्षीय होशियारी देवी का अंतिम संस्कार बैंड-बाजे और खुशियों के माहौल में किया गया। नटबादी समुदाय की इस वृद्धा को पारंपरिक शोक के बजाय ‘जीवन उत्सव’ के रूप में विदा दी गई। इस अनोखी अंतिम यात्रा का वीडियो सामने आने के बाद गांव और आसपास के इलाकों में यह चर्चा का विषय बना हुआ है। परिवारजनों के अनुसार, होशियारी देवी ने अपने जीवन में सात पीढ़ियां देखीं। इसे सौभाग्य मानते हुए परिजनों ने शोक न मनाकर उनके लंबे और संतोषपूर्ण जीवन का उत्सव मनाने का निर्णय लिया। शवयात्रा में बैंड-बाजे की धुनों पर परिवारजन और ग्रामीण नाचते-गाते हुए माताजी को अंतिम विदाई देते नजर आए। गांव के साथ-साथ दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और उत्तराखंड से भी नटबादी समुदाय के लोग इस यात्रा में शामिल हुए। उनके बड़े पुत्र शोभाराम (65 वर्ष) ने बताया कि वे पांच भाई और दो बहनें हैं। पिता वजीरा का निधन कई वर्ष पहले हो चुका था। उन्होंने कहा, “मां का जीवन सादगी, संघर्ष और संस्कारों से भरा रहा। वे परिवार की एकता की प्रतीक थीं।” गांव के प्रमुख लोग ईस्सर, ओमप्रकाश, मुकेश, पप्पू प्रधान, राकेश प्रधान और दीपक राणा भी अंतिम यात्रा में शामिल रहे। भलस्वा ईसापुर में हुए इस अद्भुत अंतिम संस्कार ने यह संदेश दिया कि जो जीवन पूर्णता और सम्मान के साथ जिया जाए, उसकी विदाई को खुशी और श्रद्धा के साथ भी मनाया जा सकता है।

Oct 31, 2025 - 10:54
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सहारनपुर में बैंड बाजों के साथ निकली शव यात्रा:सात पीढ़ियां देखने वाली महिला को मिली ‘उत्सव विदाई’
सहारनपुर के नागल थाना क्षेत्र के भलस्वा ईसापुर गांव में शुक्रवार को 102 वर्षीय होशियारी देवी का अंतिम संस्कार बैंड-बाजे और खुशियों के माहौल में किया गया। नटबादी समुदाय की इस वृद्धा को पारंपरिक शोक के बजाय ‘जीवन उत्सव’ के रूप में विदा दी गई। इस अनोखी अंतिम यात्रा का वीडियो सामने आने के बाद गांव और आसपास के इलाकों में यह चर्चा का विषय बना हुआ है। परिवारजनों के अनुसार, होशियारी देवी ने अपने जीवन में सात पीढ़ियां देखीं। इसे सौभाग्य मानते हुए परिजनों ने शोक न मनाकर उनके लंबे और संतोषपूर्ण जीवन का उत्सव मनाने का निर्णय लिया। शवयात्रा में बैंड-बाजे की धुनों पर परिवारजन और ग्रामीण नाचते-गाते हुए माताजी को अंतिम विदाई देते नजर आए। गांव के साथ-साथ दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और उत्तराखंड से भी नटबादी समुदाय के लोग इस यात्रा में शामिल हुए। उनके बड़े पुत्र शोभाराम (65 वर्ष) ने बताया कि वे पांच भाई और दो बहनें हैं। पिता वजीरा का निधन कई वर्ष पहले हो चुका था। उन्होंने कहा, “मां का जीवन सादगी, संघर्ष और संस्कारों से भरा रहा। वे परिवार की एकता की प्रतीक थीं।” गांव के प्रमुख लोग ईस्सर, ओमप्रकाश, मुकेश, पप्पू प्रधान, राकेश प्रधान और दीपक राणा भी अंतिम यात्रा में शामिल रहे। भलस्वा ईसापुर में हुए इस अद्भुत अंतिम संस्कार ने यह संदेश दिया कि जो जीवन पूर्णता और सम्मान के साथ जिया जाए, उसकी विदाई को खुशी और श्रद्धा के साथ भी मनाया जा सकता है।