नारनौल में बेटी को घोड़ी पर चढ़ा निकाला बनवारा:पिता की हो चुकी मौत, मां-बहनों ने निभाई परंपरा; दूल्हा जयपुर के अस्पताल में कर्मी
हरियाणा के नारनौल में बिन बाप की बेटी का उसकी शादी से पूर्व मां व बहनों ने बनवारा निकाला। समाज में बेटियों को समान अधिकार और सम्मान देने की मिसाल पेश करते हुए गांव हमीदपुर में एक अनोखा आयोजन हुआ। यहां संगीता नामक युवती का घोड़ी पर बैठाकर डीजे के साथ बनवारा निकाला गया। आमतौर पर यह परंपरा बेटों के लिए निभाई जाती है, लेकिन संगीता के परिवार ने इसे तोड़ते हुए अपनी बेटी की शादी को यादगार बना दिया। संगीता की शादी आज है। लड़की की मां सरोज देवी, बहन रुक्मणि, और भाई योगेंद्र ने मिलकर इस आयोजन को विशेष बनाया। पिता की हो चुकी मौत पिता का साया संगीता के सिर पर नहीं है। वे वर्ष 1998 में सड़क हादसे में गुजर गए थे। इसके बावजूद परिवार ने बेटी की शादी को पूरे उत्साह और सम्मान के साथ मनाने का फैसला किया। जिसकी गांव व आसपास के अन्य गांवों में सराहना हो रही है। जेबीटी की हुई है संगीता बीए और जेबीटी (JBT) शिक्षित हैं। उसकी शादी के लिए राजस्थान के झुंझुनूं जिला के सांतोर गांव से वर पक्ष बारात लेकर आएगा। बताया गया कि दूल्हा जयपुर के एक निजी अस्पताल में कार्यरत है। देखने के लिए उमड़ी लोगों की भीड़ गांव में जब बेटी को घोड़ी पर बैठाकर डीजे की धुनों के साथ बनवारा निकाला गया तो लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। ग्रामीणों ने कनोजिया परिवार की इस पहल की जमकर सराहना की। गांव के राकेश कुमार पंच, रेलवे कर्मचारी धर्मेंद्र और सरपंच राकेश कुमार सहित अनेक गणमान्य लोगों ने कहा कि यह आयोजन समाज में लैंगिक समानता की दिशा में प्रेरणादायक कदम है। बेटा-बेटी में फर्क नहीं लोगों का कहना है कि बेटियां आज हर क्षेत्र में आगे हैं। फिर चाहे शिक्षा हो, रोजगार हो या सम्मान। ऐसे आयोजनों से समाज में यह संदेश जाएगा कि बेटा और बेटी में कोई फर्क नहीं है। गांव में पहली बार निकाला बेटी का बनवारा गांव में यह पहली बार हुआ जब किसी लड़की का बनवारा घोड़ी पर निकाला गया। उत्साह और खुशी का माहौल देखकर पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गया। कहा जा रहा है कि हमीदपुर गांव की यह पहल आने वाली पीढ़ियों के लिए उदाहरण बनेगी, जिससे समाज में समानता की सोच और मजबूत होगी।
हरियाणा के नारनौल में बिन बाप की बेटी का उसकी शादी से पूर्व मां व बहनों ने बनवारा निकाला। समाज में बेटियों को समान अधिकार और सम्मान देने की मिसाल पेश करते हुए गांव हमीदपुर में एक अनोखा आयोजन हुआ। यहां संगीता नामक युवती का घोड़ी पर बैठाकर डीजे के साथ बनवारा निकाला गया। आमतौर पर यह परंपरा बेटों के लिए निभाई जाती है, लेकिन संगीता के परिवार ने इसे तोड़ते हुए अपनी बेटी की शादी को यादगार बना दिया। संगीता की शादी आज है। लड़की की मां सरोज देवी, बहन रुक्मणि, और भाई योगेंद्र ने मिलकर इस आयोजन को विशेष बनाया। पिता की हो चुकी मौत पिता का साया संगीता के सिर पर नहीं है। वे वर्ष 1998 में सड़क हादसे में गुजर गए थे। इसके बावजूद परिवार ने बेटी की शादी को पूरे उत्साह और सम्मान के साथ मनाने का फैसला किया। जिसकी गांव व आसपास के अन्य गांवों में सराहना हो रही है। जेबीटी की हुई है संगीता बीए और जेबीटी (JBT) शिक्षित हैं। उसकी शादी के लिए राजस्थान के झुंझुनूं जिला के सांतोर गांव से वर पक्ष बारात लेकर आएगा। बताया गया कि दूल्हा जयपुर के एक निजी अस्पताल में कार्यरत है। देखने के लिए उमड़ी लोगों की भीड़ गांव में जब बेटी को घोड़ी पर बैठाकर डीजे की धुनों के साथ बनवारा निकाला गया तो लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। ग्रामीणों ने कनोजिया परिवार की इस पहल की जमकर सराहना की। गांव के राकेश कुमार पंच, रेलवे कर्मचारी धर्मेंद्र और सरपंच राकेश कुमार सहित अनेक गणमान्य लोगों ने कहा कि यह आयोजन समाज में लैंगिक समानता की दिशा में प्रेरणादायक कदम है। बेटा-बेटी में फर्क नहीं लोगों का कहना है कि बेटियां आज हर क्षेत्र में आगे हैं। फिर चाहे शिक्षा हो, रोजगार हो या सम्मान। ऐसे आयोजनों से समाज में यह संदेश जाएगा कि बेटा और बेटी में कोई फर्क नहीं है। गांव में पहली बार निकाला बेटी का बनवारा गांव में यह पहली बार हुआ जब किसी लड़की का बनवारा घोड़ी पर निकाला गया। उत्साह और खुशी का माहौल देखकर पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गया। कहा जा रहा है कि हमीदपुर गांव की यह पहल आने वाली पीढ़ियों के लिए उदाहरण बनेगी, जिससे समाज में समानता की सोच और मजबूत होगी।