जान हथेली पर लेकर काम करते हैं वाराणसी-सदर में लेखपाल:जर्जर हो चुके भवनों से गिरती रहती है छप्पर, कैसे पूरा होगा सरकार फरमान-अरमान
जर्जर हो चुके भवनों से गिरती रहती है छप्पर, कैसे पूरा होगा सरकार फरमान-अरमान योगी आदित्यनाथ सरकार ने तहसीलों में लेखपालों के लिए लेखपाल डेस्क तैयार करने की बात कही है। लेखपाल सप्ताह में दो दिन तहसील में बैठकर जमीन से सम्बंधित मामलों को देखेंगे। लेखपालों को लैपटॉप से सुसज्जित किया जाएगा। सरकार के इस फैसले से वाराणसी सदर से जुड़े कर्मचारी पशोपेश में हैं। परेशान इसलिए क्योंकि सदर तहसील की हालत देखकर कार्यवश आने वाले भी हैरान हो जाते हैं। वाराणसी की सदर तहसील में लेखपाल, राजस्व से जुड़े कर्मचारी जान हथेली पर लेकर काम करते हैं। फरियादियों की भी सांसे अटकी रहती हैं जब वह लेखपालों के पास अपने काम से पहुंचते हैं। वजह- लेखपालों के लिए सदर तहसील में बैठने के लिए जो कमरे हैं, वह जर्जर हो चुके हैं। एक दर्जन से अधिक कमरों की छत कभी भी गिर सकती है। पहले तस्वीरों में देखिए सदर तहसील के जर्जर भवनों की हालत पहले जानिए सरकार की योजना लेखपाल डेस्क योजना सरकार यूपी की 50 तहसीलों में लेखपाल डेस्क बनाने जा रही है। लेखपाल इस डेस्क पर सप्ताह में दो दिन बैठेंगे। दरअसल, यूपी में जमीन जायदाद को लेकर प्रदेश में अपराधिक घटनाएं अधिक होती है। लेखपाल जमीन जायदाद के मामले में सरकार की अहम कड़ी माने जाते हैं। राजस्व परिषद ने जमीन से जुड़े वाद की बढ़ती संख्या को देखते हुए लेखपाल डेस्क बनाने का निर्णय लिया है। लेखपालों को डेस्कटॉप, लैपटॉप भी दिए जाएंगे। राजस्व परिषद ने पहले चरण में वाराणसी की तहसीलों को भी शामिल किया है। अब जानिए सदर की बदहाल व्यवस्था सदर तहसील में एसडीएम, तहसीलदार, नायब के बैठने, कोर्ट के लिए एक नई बिल्डिंग का निर्माण हुआ है। सदर तहसील में लेखपालों के बैठने की कोई व्यवस्था नहीं की गई। तहसील की पुरानी जर्जर और निष्प्रयोज्य घोषित हो चुके तहसील के छोटे छोटे सीलन से भरे कमरों में लेखपाल सरकारी दस्तावेज के साथ बैठने को मजबूर हैं। अक्सर काम करते समय छत से छप्पर गिर जाती है। फरियादी भी कमरे में प्रवेश करते हैं तो छत की तरफ देखते रहते हैं कि कब न ऊपर से छत गिर जाए। बरसात के दिनों में हालत और खराब हो जाती नाम नहीं छापने की शर्त पर कुछ लेखपालों ने बताया कि जर्जर कमरों में सीलन के चलते वाराणसी से जुड़े कई अहम दस्तावेज गल के खराब हो चुके हैं। बारिश के दिनों में छतों से पानी टपकता है। कमरों के खिड़की दरवाजे गल चुके हैं। दरवाजे खिड़कियां इतनी कमजोर की कोई भी आसानी से इन्हें तोड़ सकता है। चार फरियादियों में भर जाता कमरा, बैठने की जगह नहीं वाराणसी सदर तहसील में इस समय लगभग 140 लेखपाल है जिनकी संख्या अगले महीने 160 से अधिक हो जाएगी क्योंकि अभी 20 से अधिक नवनियुक्त लेखपाल ट्रेनिंग में हैं। सदर के विभिन्न इलाकों से जुड़े लेखपालों के लिए सदर में एक दर्जन से अधिक कमरे हैं लेकिन सभी की हालत खस्ता है। कमरे छोटे छोटे हैं। एक टेबल, एक आलमारी दो कुर्सी में ही कमरा भर जाता है। कार्य दिवस और अवसर विशेष पर तो लेखपालों को जमीन पर चटाइयां, दरी बिछाकर काम करना पड़ता हैं। पुराने भवन को गिराकर नई बिल्डिंग का प्रस्ताव ठंडे बस्ते में तहसील की जमीन पर एक हिस्से में ईवीएम के लिए आरक्षित हो चुका है। अब पुरानी बिल्डिंग को गिराकर नए भवन के बनने के बाद ही लेखपालों, राजस्व संग्रह से जुड़े कर्मचारियों के बैठने की व्यवस्था हो पाएगी। सदर तहसील के जीर्ण शीर्ण भवनों को गिराकर नई बिल्डिंग का प्रस्ताव बनाकर स्थानीय जिला प्रशासन राजस्व परिषद को कई माह पहले भेज चुका है लेकिन अभी तक उसपर कोई कवायद नहीं हुई।
जर्जर हो चुके भवनों से गिरती रहती है छप्पर, कैसे पूरा होगा सरकार फरमान-अरमान योगी आदित्यनाथ सरकार ने तहसीलों में लेखपालों के लिए लेखपाल डेस्क तैयार करने की बात कही है। लेखपाल सप्ताह में दो दिन तहसील में बैठकर जमीन से सम्बंधित मामलों को देखेंगे। लेखपालों को लैपटॉप से सुसज्जित किया जाएगा। सरकार के इस फैसले से वाराणसी सदर से जुड़े कर्मचारी पशोपेश में हैं। परेशान इसलिए क्योंकि सदर तहसील की हालत देखकर कार्यवश आने वाले भी हैरान हो जाते हैं। वाराणसी की सदर तहसील में लेखपाल, राजस्व से जुड़े कर्मचारी जान हथेली पर लेकर काम करते हैं। फरियादियों की भी सांसे अटकी रहती हैं जब वह लेखपालों के पास अपने काम से पहुंचते हैं। वजह- लेखपालों के लिए सदर तहसील में बैठने के लिए जो कमरे हैं, वह जर्जर हो चुके हैं। एक दर्जन से अधिक कमरों की छत कभी भी गिर सकती है। पहले तस्वीरों में देखिए सदर तहसील के जर्जर भवनों की हालत पहले जानिए सरकार की योजना लेखपाल डेस्क योजना सरकार यूपी की 50 तहसीलों में लेखपाल डेस्क बनाने जा रही है। लेखपाल इस डेस्क पर सप्ताह में दो दिन बैठेंगे। दरअसल, यूपी में जमीन जायदाद को लेकर प्रदेश में अपराधिक घटनाएं अधिक होती है। लेखपाल जमीन जायदाद के मामले में सरकार की अहम कड़ी माने जाते हैं। राजस्व परिषद ने जमीन से जुड़े वाद की बढ़ती संख्या को देखते हुए लेखपाल डेस्क बनाने का निर्णय लिया है। लेखपालों को डेस्कटॉप, लैपटॉप भी दिए जाएंगे। राजस्व परिषद ने पहले चरण में वाराणसी की तहसीलों को भी शामिल किया है। अब जानिए सदर की बदहाल व्यवस्था सदर तहसील में एसडीएम, तहसीलदार, नायब के बैठने, कोर्ट के लिए एक नई बिल्डिंग का निर्माण हुआ है। सदर तहसील में लेखपालों के बैठने की कोई व्यवस्था नहीं की गई। तहसील की पुरानी जर्जर और निष्प्रयोज्य घोषित हो चुके तहसील के छोटे छोटे सीलन से भरे कमरों में लेखपाल सरकारी दस्तावेज के साथ बैठने को मजबूर हैं। अक्सर काम करते समय छत से छप्पर गिर जाती है। फरियादी भी कमरे में प्रवेश करते हैं तो छत की तरफ देखते रहते हैं कि कब न ऊपर से छत गिर जाए। बरसात के दिनों में हालत और खराब हो जाती नाम नहीं छापने की शर्त पर कुछ लेखपालों ने बताया कि जर्जर कमरों में सीलन के चलते वाराणसी से जुड़े कई अहम दस्तावेज गल के खराब हो चुके हैं। बारिश के दिनों में छतों से पानी टपकता है। कमरों के खिड़की दरवाजे गल चुके हैं। दरवाजे खिड़कियां इतनी कमजोर की कोई भी आसानी से इन्हें तोड़ सकता है। चार फरियादियों में भर जाता कमरा, बैठने की जगह नहीं वाराणसी सदर तहसील में इस समय लगभग 140 लेखपाल है जिनकी संख्या अगले महीने 160 से अधिक हो जाएगी क्योंकि अभी 20 से अधिक नवनियुक्त लेखपाल ट्रेनिंग में हैं। सदर के विभिन्न इलाकों से जुड़े लेखपालों के लिए सदर में एक दर्जन से अधिक कमरे हैं लेकिन सभी की हालत खस्ता है। कमरे छोटे छोटे हैं। एक टेबल, एक आलमारी दो कुर्सी में ही कमरा भर जाता है। कार्य दिवस और अवसर विशेष पर तो लेखपालों को जमीन पर चटाइयां, दरी बिछाकर काम करना पड़ता हैं। पुराने भवन को गिराकर नई बिल्डिंग का प्रस्ताव ठंडे बस्ते में तहसील की जमीन पर एक हिस्से में ईवीएम के लिए आरक्षित हो चुका है। अब पुरानी बिल्डिंग को गिराकर नए भवन के बनने के बाद ही लेखपालों, राजस्व संग्रह से जुड़े कर्मचारियों के बैठने की व्यवस्था हो पाएगी। सदर तहसील के जीर्ण शीर्ण भवनों को गिराकर नई बिल्डिंग का प्रस्ताव बनाकर स्थानीय जिला प्रशासन राजस्व परिषद को कई माह पहले भेज चुका है लेकिन अभी तक उसपर कोई कवायद नहीं हुई।